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Tuesday, October 16, 2018

उपेन्द्र राव जी का विदेश यात्रा


प्रेस रिलीज़

प्रफ़ेसर उपेन्द्र राव

जे एन यु प्रफ़ेसर उपेन्द्र राव जी का विदेश यात्रा

रीगा में स्थित लातविया विश्वविद्यालय तथा लातविया के सांसद डाक्टर रोमुआलदस ने जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के प्रो. सी. उपेंद्र राव जी को भारतीय प्राच्यविद्या के विभिन्न विषयों पर अपने व्यक्तव्य देने हेतु उन्हें आमंत्रित किये हैं । जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के प्रशासन ने इसके लिए अपनी सहमति प्रदान किया है । प्रो. सी. उपेंद्र राव इसी माह की ९ तारीख से लातविया विश्वविद्यालय में इंडिक स्टडीज़ के विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। उन में से कुछ विषय हैं,

-वेदांत का परिचय (द्वैत, अद्वैत एवं विशिष्टाद्वैत के सन्दर्भ में)

-बौद्ध दर्शन (द्वादश निदान- कार्य कारण सिद्धांत के विशेष सन्दर्भ में)

-सांख्यदर्शन का परिचय 

-कालिदास और उनके काव्य सौंदर्य

-संस्कृत काव्यों में अलंकारों का प्रयोग

-भारतीय संस्कृति को समझने में पालि-साहित्य की भूमिका.

प्रो. सी. उपेंद्र राव, जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान में संस्कृत और पालि के वरिष्ठ आचार्य हैं। वें विशिष्टसंस्कृताध्ययन केंद्र के अध्यक्ष पद को भी सुशोभित किये हैं ।  प्रो. राव ने कम्बोडिया के नॉमपेन्ह स्थित बौद्ध विश्विद्यालय में आई.सी.सी.आर. के चेयर पद पर भी कुशलता पूर्वक कार्य किया है. प्रो. राव ने अभी तक कुल २० पुस्तकों का लेखन एवं संपादन का भी कार्य किया है. वर्तमान में वे दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय प्राच्यविद्या के विषय पर भी कार्य कर हैं। हाल ही में उन्होंने वियतनाम में " कम्बोडिया के संस्कृत अभिलेखों में भारतीय संस्कृति" पर एक शोध-पत्र प्रस्तुत किया है.

प्रो राव द्वारा अगस्त २०१८ में संयुक्त राज्य अमेरिका के डलास में आयोजित वेव संगोष्ठी में "अक्षर पुरुषोत्तम दर्शन" पर एक शोध पत्र प्रस्तुत किया गया जिसे अनेक विद्वानों के द्वारा सराहा किया गया है. अप्रैल माह में उन्होंने लिथवानिया के दो विश्विद्यालयों में अपना वक्तव्य दिया और साथ ही 'विश्वशांति' विषय पर अपना वक्तव्य लिथवानिया के संसदीय एनेक्सी में भी दिया । प्रो. राव यूक्रेन के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय कीव मोहिला में एवं  कज़ाकिस्तान के एल. एन. गुमिलोव यूरेशियन राष्ट्रीय विश्विद्यालय, अस्ताना के अभ्यागत प्रोफेसर रह चुके हैं। साथ ही इन दोनों विश्विद्यालयों में उन्होंने संस्कृत-भाषा और बौद्ध-दर्शन का अध्यापन कार्य भी किया है. जून २०१८ में उन्होंने हवें क्वांग मोनेस्ट्री, होचीमिन्ह, वियतनाम में भी संस्कृत का अध्यापन कार्य सम्पादित किया है।

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